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कल रात ससुर जी ने कमर तोड़ चुदाई की

मैं ज्योत्सना, 26 साल की जवान और हसीन औरत, जिसका गोरा रंग, भारी-भरकम 36D की चूचियां, और मटकती गोल गांड गाँव में हर मर्द की आँखों का निशाना थी। मेरी शादी को दो साल हो चुके थे, और मेरा पति, राहुल, 29 साल का, शहर में नौकरी करता था। उसकी नौकरी की वजह से वो महीने में बस एक-दो बार गाँव की पुरानी हवेली में लौटता था। हवेली में मैं और मेरे ससुर जी, रामलाल, अकेले रहते थे। ससुर जी 50 साल के थे, मगर उनकी तगड़ी देह, चौड़ा सीना, और रौबीली मूंछों वाली गहरी आवाज किसी जवान मर्द को टक्कर देती थी। उनकी काली-गहरी आँखें और मजबूत बाहें मेरे जिस्म में सनसनी पैदा करती थीं। उनके घने बाल और रौबीला अंदाज देखकर मेरी चूत बेकरार हो उठती थी।

दिन के उजाले में हवेली की रौनक कुछ और होती थी, मगर रातें मेरे लिए तड़प और वासना से भरी थीं। ससुर जी मेरे साथ हंसी-मजाक करते, कभी मेरी कमर पर हाथ रख देते, तो कभी मेरी चूचियों को ललचाई नजरों से घूरते। मैं उनकी नजरों को भांप लेती थी और जानबूझकर ऐसी पतली साड़ी पहनती, जो मेरे जिस्म से चिपककर मेरी चूचियों और गांड को उभारे। मेरी चूचियां टाइट ब्लाउज में कैद रहतीं, और मेरी गोल गांड साड़ी में मटकती हुई हर मर्द का ध्यान खींचती। मैं चाहती थी कि ससुर जी मेरी तरफ खिंचे, मगर रिश्ते की मर्यादा और शर्म मुझे रोकती थी। फिर वो रात आई, जब सारी हदें टूट गईं, और मेरी चूत की प्यास ससुर जी के मोटे लंड ने बुझाई।

कल रात गाँव में तेज बारिश हो रही थी। बिजली गुल थी, और हवेली में सिर्फ लालटेन की मद्धम रोशनी फैली थी। मैंने एक पतली, गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी, जो बारिश में भीगकर मेरे जिस्म से चिपक गई थी। मेरा ब्लाउज गीला होकर मेरी चूचियों को और उभार रहा था, और मेरी नाभि चांदनी में चमक रही थी। मैं रसोई में खाना बना रही थी, मेरी साड़ी का पल्लू बार-बार कंधे से सरक रहा था। ससुर जी चुपके से पीछे आए, और उनकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर महसूस हुईं। मेरी रीढ़ में झुरझुरी दौड़ गई। “ज्योत्सना, तू आज कुछ ज्यादा ही हॉट लग रही है,” उनकी गहरी, रौबीली आवाज मेरे कानों में गूंजी। मेरी चूत में सनसनी फैल गई, और मैंने शरमाते हुए कहा, “ससुर जी, ये आप क्या बोल रहे हैं? कोई सुन लेगा!” मगर मेरी आवाज में शर्म के साथ वासना की हल्की सी पुकार थी।

ससुर जी ने मेरी कमर को अपनी मजबूत बाहों में जकड़ लिया। उनके रूखे हाथ मेरी नाजुक कमर पर फिसल रहे थे, और मैं कांप उठी। “ज्योत्सना, तू मेरी बहू नहीं, मेरी रानी है,” उन्होंने गुर्राते हुए कहा, और मेरे कंधे पर अपने गर्म होंठ रख दिए। उनकी मूंछें मेरी गर्दन पर गुदगुदी कर रही थीं, और मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने हल्का सा विरोध किया, “ससुर जी, ये गलत है, राहुल को पता चलेगा!” मगर मेरी आवाज कमजोर थी, और मेरे जिस्म ने उनके स्पर्श को स्वीकार कर लिया था। ससुर जी ने मुझे अपनी बाहों में उठाया, जैसे मैं कोई हल्की-सी गुड़िया होऊं, और अपने कमरे में ले गए। वहाँ चारपाई पर मोटा गद्दा बिछा था, और लालटेन की मद्धम रोशनी कमरे को कामुक बना रही थी।

उन्होंने मेरी गीली साड़ी को धीरे-धीरे खींचना शुरू किया। साड़ी मेरे जिस्म से सरकती हुई फर्श पर गिर गई, और मैं सिर्फ अपने टाइट ब्लाउज और पेटीकोट में थी। मेरी चूचियां ब्लाउज में कैद थीं, और मेरी नाभि चमक रही थी। “ज्योत्सना, तेरी चूचियां तो दूध की मटकियां हैं,” ससुर जी ने ललचाई नजरों से कहा, और मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगे। मैंने शरमाते हुए अपनी बाहें सीने पर रखीं, मगर ससुर जी ने मेरे हाथ हटा दिए। ब्लाउज खुलते ही मेरी गोरी चूचियां आजाद हो गईं, उनके गुलाबी निप्पल्स तनकर खड़े थे। ससुर जी ने मेरी चूचियों को अपने रूखे हाथों में भरा और जोर-जोर से मसलने लगे। “आह्ह… ससुर जी, धीरे, मेरी चूचियां दुख रही हैं!” मैंने सिसकते हुए कहा, मगर मेरी चूत रस से तर-बतर हो रही थी।

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उनके रूखे हाथ मेरी चूचियों को मसल रहे थे, और उनकी उंगलियां मेरे निप्पल्स को मरोड़ रही थीं। मैं सिसकियों के बीच सुख की लहरों में डूब रही थी। “ससुर जी, मेरी चूचियां तुम्हारी हैं, इन्हें प्यार करो!” मैंने सिसकते हुए कहा। ससुर जी ने मेरे निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उनकी गर्म जीभ मेरे तने हुए निप्पल्स पर घूम रही थी, और उनकी मूंछें मेरी चूचियों पर गुदगुदी कर रही थीं। “उम्म… ससुर जी, और चूसो, मेरी चूचियां तुम्हारे लिए तड़प रही हैं!” मैंने चिल्लाया, और उनके बालों को जकड़ लिया। उन्होंने मेरी एक चूची को अपने मुँह में भरा और जोर-जोर से चूसने लगे। “स्लर्प… स्लर्प…” उनकी चूसने की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मेरी सिसकियां तेज हो गईं, “आह्ह… ओह्ह… ससुर जी, मेरी चूचियां चूस डालो!” उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर नाच रही थी, और मेरी चूत अब रस टपकाने लगी थी।

ससुर जी ने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और वो मेरे पैरों के पास गिर गया। मैं अब सिर्फ अपनी काली पैंटी में थी, जो मेरी गीली चूत से चिपककर पारदर्शी हो गई थी। मेरी सांवली, गीली चूत उनके सामने थी, और उसका रस मेरी जांघों तक बह रहा था। “ज्योत्सना, तेरी चूत तो शहद की चाशनी है,” ससुर जी ने कहा, और अपनी उंगलियां मेरी चूत के होंठों पर फिराईं। उनकी उंगलियां मेरे चूत के दाने को रगड़ रही थीं, और मैं चीख उठी, “हाय… ससुर जी, मेरी चूत में आग लग रही है!” मेरी गांड उछलने लगी, और मैंने अपनी टांगें और फैला दीं। ससुर जी ने मेरी पैंटी को एक झटके में फाड़ दिया, और मेरी चूत पूरी तरह नंगी उनके सामने थी।

उन्होंने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे चूत के दाने पर बार-बार रगड़ रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… ओह्ह… ससुर जी, मेरी चूत चाटो, इसे अपने प्यार से भिगो दो!” मैं चिल्ला रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मेरी सिसकियां सुख की चीखों में बदल गईं। “चप… चप…” मेरी चूत की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। ससुर जी ने दो उंगलियां मेरी चूत में डालीं और जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगे। “उम्म… ससुर जी, मेरी चूत फाड़ दो!” मैं चिल्ला रही थी, और मेरी चूत उनकी उंगलियों को निगल रही थी। उन्होंने मेरी चूत को और जोर से चाटा, और मेरी गांड हवा में उछलने लगी। मेरी चूत ने इतना रस छोड़ा कि उनकी उंगलियां पूरी तरह गीली हो गईं।

ससुर जी ने अपनी लुंगी उतार दी। उनका मोटा, 10 इंच का लंड मेरे सामने तनकर खड़ा था। उसकी नसें फूल रही थीं, और उसका गुलाबी सुपारा चमक रहा था। मैंने उनके लंड को देखा, और मेरी आँखों में डर के साथ वासना की चमक थी। “ससुर जी, आपका लंड तो मेरी चूत का काल है!” मैंने सिसकते हुए कहा। “ज्योत्सना, ये लंड तेरी चूत का सुख बनेगा,” उन्होंने रौबीली आवाज में कहा, और मेरे नाजुक हाथों में अपना लंड थमा दिया। मैंने उनके लंड को डरते-डरते सहलाया, उसकी गर्मी मेरे हाथों में महसूस हो रही थी। मैंने अपने होंठों से उनके लंड के सुपारे को चूमा, और मेरी जीभ उसके टिप पर घूमने लगी। “आह्ह… ज्योत्सना, तू मेरे लंड को जन्नत दिखा रही है,” ससुर जी ने गुर्राया, और मेरे बालों को जकड़ लिया।

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मैंने उनके लंड को अपने मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। “स्लर्प… स्लर्प…” मेरे मुँह की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उनके लंड को गीला कर दिया, और मेरी लार उनके लंड पर चमक रही थी। ससुर जी की सांसें तेज हो रही थीं, और वो मेरे मुँह को और गहराई से चोदने लगे। “ज्योत्सना, तू मेरे लंड की रानी है,” उन्होंने सिसकते हुए कहा। मैंने उनके लंड को अपने गले तक लिया, और मेरी आँखों में आंसू आ गए। फिर मैं चारपाई पर लेट गई, मेरी चूत रस टपका रही थी, और मेरी मोटी गांड उनके सामने थी। “ससुर जी, मेरी चूत में अपना मोटा लंड डालो, और मुझे चोदो!” मैंने चिल्लाया, और अपनी टांगें फैला दीं।

ससुर जी ने मेरी चूतड़ों पर जोर से थप्पड़ मारा। “थप… थप…” मेरी गांड लाल हो गई, और मैं चीख उठी, “हाय, ससुर जी, मेरी गांड जल रही है!” उन्होंने मेरी चूत को अपनी उंगलियों से और गीला किया, और फिर अपना मोटा लंड मेरी चूत के होंठों पर रगड़ा। “ज्योत्सना, तेरी चूत मेरे लंड की प्यासी है,” उन्होंने कहा, और एक झटके में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “आह्ह… मर गई!” मेरी चीख रात को चीर गई। उनका लंड मेरी चूत को फाड़ रहा था, और मैं दर्द से चिल्ला रही थी। “ससुर जी, धीरे, मेरी चूत फट जाएगी!” मैंने सिसकते हुए कहा।

ससुर जी ने मेरी चूचियों को सहलाया और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगे। “चप… चप…” मेरी चूत की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। धीरे-धीरे दर्द सुख में बदल गया, और मैं चिल्ला उठी, “ससुर जी, अब मजा आ रहा है, चोदो मुझे!” ससुर जी ने मेरी चूचियों को पकड़ा और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। हर धक्के के साथ मेरी चूत रस छोड़ रही थी, और मेरी चीखें हवेली में गूंज रही थीं। “आह्ह… ओह्ह… ससुर जी, मेरी चूत को अपने लंड से भर दो!” मैं चिल्ला रही थी। उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था, और मेरी चूत उसे जकड़ रही थी।

ससुर जी ने मुझे चारपाई से उठाया और दीवार के सहारे खड़ा किया। उन्होंने मेरी एक टांग उठाई और मेरी चूत में फिर से अपना लंड डाला। “थप… थप…” उनके धक्कों की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मेरी चूत उनके लंड को निगल रही थी। “ससुर जी, मेरी चूत को और जोर से चोदो!” मैं चिल्ला रही थी। उन्होंने मेरी चूत में गहरे धक्के मारे, और मेरी चूतड़ों को जोर-जोर से दबाया। “ज्योत्सना, तेरी चूत मेरे लंड की मालकिन है,” उन्होंने गुर्राया। मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू किया, और उनकी जीभ मेरे मुँह में नाच रही थी।

अब ससुर जी की नजर मेरी मोटी गांड पर थी। उन्होंने मुझे चारपाई पर उल्टा लिटाया और मेरी गांड को अपने सामने देखकर पागल हो गए। “ज्योत्सना, तेरी गांड तो चांद का टुकड़ा है,” उन्होंने कहा, और मेरी गांड पर जोर-जोर से थप्पड़ मारे। “थप… थप…” मेरी गांड लाल हो गई, और मैं चीख उठी, “ससुर जी, मेरी गांड जल रही है!” उन्होंने मेरी चूत का रस अपनी उंगलियों से लिया और मेरी टाइट गांड के छेद को गीला किया। “ससुर जी, मेरी गांड में मत डालो, मैं टूट जाऊंगी!” मैंने डरते हुए कहा, मगर मेरी गांड अब उनके लंड की भूखी थी।

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ससुर जी ने अपने लंड को मेरी चूत के रस से गीला किया और धीरे से मेरी टाइट गांड में डाला। “आह्ह… हाय राम!” मेरी चीख रात को चीर गई। उनका लंड मेरी गांड को फाड़ रहा था, और मैं दर्द से चिल्ला रही थी। “ससुर जी, मेरी गांड फट जाएगी!” मैंने सिसकते हुए कहा। ससुर जी ने मेरी चूचियों को पीछे से पकड़ा और धीरे-धीरे मेरी गांड में लंड अंदर-बाहर करने लगे। धीरे-धीरे दर्द सुख में बदल गया, और मैं चिल्ला उठी, “ससुर जी, मेरी गांड चोदो, इसे अपने लंड से भर दो!” उनकी गति तेज हो गई, और मेरी चूत रस टपकाने लगी। “थप… थप…” उनकी जांघें मेरी गांड से टकरा रही थीं, और मेरी सिसकियां सुख की चीखों में बदल गईं।

ससुर जी ने मुझे अपनी गोद में उठाया और चारपाई के किनारे बैठ गए। मैं उनकी गोद में थी, और उनका लंड मेरी चूत में फिर से घुस गया। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… ससुर जी, मेरी चूत और गांड दोनों ले लो!” उन्होंने मेरी चूत को जोर-जोर से चोदा, और मेरी चूत ने फिर से रस छोड़ दिया। रात के 3 बज चुके थे, और बारिश की आवाज हमारी चुदाई का संगीत बन रही थी। ससुर जी का लंड अब फटने को था। उन्होंने मेरी चूत में आखिरी धक्का मारा, और अपना गर्म माल मेरी चूत में उड़ेल दिया। “आह्ह… ओह्ह…” मेरी चूत रस और माल से लबालब हो गई, और मैं सुख की चरम सीमा पर थी।

हम दोनों पसीने से तर-बतर चारपाई पर गिर पड़े। मेरी सांसें तेज थीं, और ससुर जी ने मेरी चूचियों को चूमा। “ज्योत्सना, तू मेरी रानी है। तेरी चूत और गांड मेरे लंड की गुलाम हैं,” उन्होंने कहा। मैंने उनके लंड को फिर से सहलाया और बोली, “ससुर जी, आपने मेरी कमर तोड़ दी।” उन्होंने मेरे होंठों को चूमा और बोले, “ज्योत्सना, जब तक मैं हूं, तेरी चूत और गांड की प्यास बुझाऊंगा।”

कुछ दिन बाद, राहुल गाँव लौटा। एक रात, जब मैं और ससुर जी चुदाई में डूबे थे, राहुल ने हमें देख लिया। मैं डर गई, मगर राहुल ने मुस्कुराते हुए कहा, “ज्योत्सना, अगर पिताजी तुझे सुख दे सकते हैं, तो मैं भी कोशिश करूंगा।” उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका 8 इंच का लंड मेरे सामने था। उसने मेरी चूत में अपना लंड डाला, और ससुर जी ने मेरी गांड में अपना मोटा लंड डाला। “आह्ह… ओह्ह… तुम दोनों मेरी चूत और गांड ले लो!” मैं चिल्ला रही थी। “थप… थप…” उनकी जांघों की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और मैं सुख की चरम सीमा पर थी।

अब हवेली में हर रात चुदाई का मेला लगता था। एक बार, गाँव की कमला, ससुर जी की पुरानी दोस्त, ने हमारी चुदाई देख ली। ससुर जी ने उसे भी शामिल कर लिया। कमला की चूचियां मेरी जितनी ही भारी थीं, और उसकी गांड भी मटकती थी। ससुर जी ने कमला की चूत चाटी, और राहुल ने मेरी चूत में अपना लंड डाला। “आह्ह… चोदो हमें, ससुर जी! हमारी चूत और गांड तुम्हारे लंड की भूखी हैं!” हम दोनों चिल्ला रही थीं। उस रात, हम चारों ने मिलकर चुदाई का तूफान मचाया। मेरी चूत और गांड हर रात ससुर जी और राहुल के लंड से सुख पाती थी। दिन में मैं उनकी बहू थी, और रात में उनकी रानी।

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