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दीदी टांगे चौड़ी करके अपनी चूत का छेद दिखने लगी मुझे

मेरा नाम राजिंदर है, मैं हिमाचल का रहने वाला हूं, लोग मुझे राजू कहकर बुलाते हैं। मैं अठारह साल का हूं, गोरा चिट्टा, दुबला पतला लेकिन लंड मोटा और लंबा। मेरी चचेरी बहन शालू है, वो मुझसे चार साल बड़ी यानी बाईस साल की, क्रीम कलर की सलवार कुर्ता पहने, मोटे मोटे मम्मे, चौड़ी गांड, गोरी चमड़ी, खुश मूड में। कहानी तब की है जब बरसात का मौसम था, अंधेरा होने वाला था, मैं अपनी मां के कहने पर पके हुए आम की टोकरी उठाकर अपने चाचाजी के घर देने गया था, जो कुछ दूरी पर रहते हैं।

जब मैं वापस आने लगा तो चाचा जी ने कहा कि थोड़ी देर बाद गप्पे मारके चले जाना। तो मैं रुक गया और खुले बरामदे में एक किनारे पर लगी हुई चारपाई पर बैठ गया, और दूसरे किनारे पर लगी चारपाई पर बैठे हुए चाचा चाची से बातें करने लगा। इतने में शालू दीदी मेरे पास आकर बैठ गई और बातें करने लगी, उसके मोटे मम्मे कुर्ते से उभरे हुए थे, मैं चुपके से देख रहा था।

तभी आसमान पर बिजली चमकने लगी और बारिश शुरू हो गई। बातों बातों में कब अंधेरा हो गया पता ही नहीं चला, इतने में जोर जोर से बादल गर्जने लगे, और पानी की फुहारें बरामदे के अंदर तक आने लगीं। हमें ठंड लगने लगी और मेरी शालू दीदी कमरे से चादरें और सिरहाने लाकर चाचा चाची और मुझे देने लगी। तो चाचाजी ने सब को अंदर कमरे में चलने को बोला लेकिन शालू दीदी ने कहा कि आप जाओ, मैं और राजू यहां पर बैठकर बातें करेंगे और बारिश का मजा लेंगे, उसकी आंखों में शरारत थी।

मैं और शालू दीदी एक ही चादर ओढ़कर चारपाई पर लेटकर बातें करने लगे, इतने में बारिश और तेज हो गई और लाइट चली गई। ठंड और फुहारों के कारण दीदी ने मेरे पेट से अपनी पीठ लगाकर लेट गई और बातें करने लगी, उसकी चौड़ी गांड को छूकर मेरा लंड खड़ा होने लगा, मैंने थोड़ा पीछे हट गया ताकि शालू दीदी को पता न चले, पर दीदी को ठंड लग रही थी। तो उसने अपनी गांड और पीछे कर दी, मैं झट से पीठ के बल लेट गया कि मेरा लंड दीदी को न चुभ जाए, जो कि मेरे लोअर में तंबू की तरह खड़ा हो गया था। पर दीदी पलटकर मेरी तरफ मुंह करके लेट गई और मुझे खींचकर अपनी बाहों में कस लिया, उसके बड़े बड़े मम्मे मेरे मुंह से लगने लगे क्योंकि वो काफी लंबी जवान थी, और उसने अपनी एक टांग मोड़कर मेरे ऊपर रख दी जो मेरे तने हुए लंड से टकरा गई।

दीदी ने आहिस्ता से अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और उसे दबाकर देखा, फिर मेरे कान में कहा कि ये तो बहुत मोटा और लंबा हो गया है, उसकी सांसें गर्म थीं। फिर उसने मेरी टीशर्ट ऊपर उठाई और अपना कुर्ता ऊपर उठाकर अपने मोटे मोटे मम्मों को नंगा कर दिया, वो मेरे पेट पर हाथ फेरती हुई अपना हाथ मेरे लोअर के अंदर तक ले गई और मेरा लंड पकड़कर बाहर निकाल लिया, और उसे हाथ को आगे पीछे करने लगी, मुझे बहुत मजा आने लगा, मैं आहें भरने लगा और उसकी तरफ घूम गया।

दीदी मेरे होठों को चूमने लगी, उसके होंठ नरम गीले थे, फिर उसने अपना एक मम्मा मेरे मुंह में डाल दिया और चूसने को कहा। मैं भी उसके एक मम्मे को चूसने और दूसरे को एक हाथ से पकड़कर जोर जोर से दबाने लगा, निप्पल कड़े हो गए थे। तभी शालू दीदी ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और मेरा लंड पकड़कर अपनी गीली चूत पर रगड़ने लगी, थोड़ी देर बाद वो जोश में आ गई और लंड को जोर जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी, इतने में मेरे लंड से पानी निकल गया पर वो उसे अपनी चूत पर रगड़ती रही और थोड़ी देर बाद शांत हो गई, उसकी चूत गीली हो चुकी थी।

इतने में बारिश थम चुकी थी और मैंने चाचा जी को आवाज लगाई कि मैं अपने घर को जा रहा हूं। तो चाचाजी ने कहा कि अंधेरा बहुत है, शालू टॉर्च लेकर तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ आएगी। तब शालू दीदी ने टॉर्च उठाई और मुझे घर छोड़ने चल पड़ी। रास्ता मक्की के खेतों में से गुजरता था। जब हम घरों से दूर मक्की के खेतों में पहुंचे तो शालू दीदी ने मुझसे पूछा कि तुझे कुछ मजा आया, तो मैंने कहा कि आया तो बहुत पर आपने बाहर ही कर दिया।

दीदी ने मुझे अपने गले लगाकर झूमते हुए कहा कि तेरा बहुत मोटा और लंबा है, ये तो मेरी फाड़ देता और तीन महीने बाद मेरी शादी भी है, फिर मैं तेरे जीजा को क्या दिखाऊंगी। तू चाहे तो कभी मुझे पीछे से कर लेना क्योंकि तू मुझे बहुत प्यारा लगता है, इसीलिए तेरे लिए मैं दर्द भी सहन कर लूंगी। ये बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मुझे भी उसकी चौड़ी गांड बहुत प्यारी लगती थी।

मैंने दीदी को अपनी बाहों में लेकर अपने सीने से लगा लिया और दोनों हाथ उसकी गांड पर रखकर उसे अपनी ओर खींच लिया। अब मेरा लंड दीदी के पेट में चुभने लगा तो दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और कहा कि जब भी मौका मिलेगा मैं इसे अपने अंदर जरूर लूंगी, अब तुम अपने घर को चलो। मैं अपने घर पहुंच गया और वो भी वापस अपने घर को चली गई। मैं रात भर अपना लंड हाथ में लेकर उसकी गांड के बारे में सोचता रहा।

अगले दिन सुबह जब मैं जागा तो चाचाजी हमारे घर पर आए हुए थे और मेरे पिताजी से कह रहे थे कि वो आज चाची के साथ किसी काम से शहर जा रहे हैं, इसीलिए घर और पशुओं का खयाल रखना। तो मेरे पिताजी ने कहा कि आप चिंता न करें, हम यानी मेरी भाभी को तुम्हारे घर भेज देंगे, वो घर का खयाल रखेगी। और शालू और राजू पशुओं को लेकर हमारे आम के बगीचे के पास वाली पहाड़ी पर चले जाएंगे, यहां पर बहुत सी हरी घास है और आम के फलों की बंदरों से रखवाली भी कर लेंगे।

तब चाचा जी खुश होकर अपने घर को चले गए। मैंने नहा धोकर नाश्ता किया और शालू दीदी के आने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद दीदी अपने पशुओं को हांकती हुई आ गई, आज वो बहुत खुश लग रही थी, उसने ब्लैक कलर की सलवार और क्रीम कलर का कुर्ता पहन रखा था और अपने मोटे मोटे मम्मों को ब्लैक कलर की चुन्नी से ढांप रखा था।

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भाभी ने हमारे लिए दोपहर का खाना मुझे थमा दिया और हम अपने पशुओं को हांकते हुए खेत की तरफ चल पड़े। रास्ते में शालू दीदी का भैंसा हमारी भैंस के पीछे पीछे भागने लगा और वो आगे आगे भागने लगी और बार बार पेशाब करने लगी। ये देखकर दीदी हंसने लगी और जब मैंने पूछा तो कहने लगी कि देख तेरी भैंस दर्द से कितनी डर रही है लेकिन मेरा भैंसा आज इसको छोड़ेगा नहीं।

तो मैंने पूछा तुम्हें कैसे पता, तो दीदी ने कहा देख मेरे भैंसे ने कितना लंबा बाहर निकाल रखा है, अब ये तेरी भैंस के अंदर जाकर उसकी कैसे सील तोड़ता है। ये सुनकर मुझे बहुत मजा आने लगा। थोड़ी देर बाद हम अपने आम के बगीचे में पहुंच गए और मैंने खाने की थैली वहां बनी घास की झुग्गी में टांग दी, जो हमने बारिश से बचने के लिए बनाई थी और उसमें एक खाट और पानी का घड़ा भी रखा था।

फिर हम पशुओं को लेकर साथ में घास वाली पहाड़ी पर चले गए और बड़े बड़े पत्थरों पर बैठ गए, क्योंकि बादल छाए हुए थे और ठंडी ठंडी हवा चलने लगी थी। तभी हमने देखा भैंसा भैंस के पीछे भाग रहा था और भैंस को घास नहीं चरने दे रहा था। आखिर भैंस थककर रुक गई और पेशाब करने लगी, तभी भैंसे ने भैंस की चूत से पेशाब को चाटा और अपना तना हुआ लंड बाहर निकाल लिया और भैंस के ऊपर चढ़ने लगा।

लेकिन उसका लंड अंदर नहीं जा सका और भैंसा नीचे उतर गया। तो मैंने कहा इसका तो अंदर ही नहीं गया। तो दीदी ने कहा ये अंदर चला जाएगा, चल कहीं छुपकर देखते हैं, यहां मुझे शर्म आ रही है। तो हम एक पेड़ों के झुंड के नीचे एक झाड़ी में खड़े हो गए, दीदी ने अपना दुपट्टा गले में डालकर पीछे लटका रखा था, और उसके बड़े बड़े मम्मों के निप्पल कुर्ते से साफ दिख रहे थे।

इतने में भैंसा फिर भैंस के ऊपर चढ़ गया और उसका लंड भैंस की चूत में घुस गया। तभी दीदी मुझसे लिपट गई और मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया। दीदी बोली हाय इनको कितना मजा आ रहा होगा। दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी छाती पर रख दिया और मेरा लंड पकड़ लिया। अब मुझसे रहा नहीं गया, मैंने दीदी का कुर्ता ऊपर उठाया और उसके मम्मों को नंगा करके चूसने लगा, निप्पल मुंह में लेकर हल्के काटा।

तभी काले बादल गर्जने लगे और जोर की बारिश शुरू हो गई। हम दोनों बहुत गरम हो चुके थे। और मैं बोल पड़ा हाय दीदी तुम्हारे मम्मे बहुत बड़े बड़े और गोरे हैं, तो दीदी के मुंह से भी निकल गया हाय राजू तुम्हारा लंड भी बहुत लंबा और मोटा है, मैं इसे फुदी में कैसे डालूं, ये मेरी फुदी फाड़ देगा। तभी मैंने कहा हाय दीदी अपनी सलवार खोल दो और मुझे अपनी फुदी और गांड दिखा दो, मैंने कभी किसी की इतने पास से देखी है।

तो दीदी बोली हाय राजू मैंने भी कभी किसी का खड़ा लंड पास से नहीं देखा। और उसने मेरा नाड़ा खोलकर मेरा बारिश में भीगा हुआ लंड बाहर निकाल लिया। तभी मैंने भी उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और गीली सलवार को नीचे खींचकर उसकी चूत को देखने लगा जो बहुत गोरी थी और उस पर भूरे रंग के बाल थे। मैं बैठकर उसे चाटने लगा, जीभ से क्लिट घुमाई, दीदी ने आंखें बंद कर लीं और सिसकारियां लेने लगी।

तभी मैं उठा और अपना तना हुआ लंड उसकी चूत पर रखकर अंदर डालने की कोशिश करने लगा पर लंड बाहर ही घिसता रहा क्योंकि मुझे पता ही नहीं था कि चूत का छेद नीचे होता है। तभी दीदी ने आंखें खोलीं और कहा हाय मेरे प्यारे राजू फुदी का सुराख नीचे है पर मैं तेरा लंड इसमें नहीं ले सकती। तो मैंने कहा कि अपनी गांड ही मारने दो। दीदी मान गई और मैं दीदी के पीछे आ गया और जब दीदी की चौड़ी गांड को देखा तो मेरे होश उड़ गए।

दीदी की गीली और गोरी गांड और जांघें मक्खन की तरह लग रही थीं। उसके बड़े बड़े नितंबों को देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने दीदी की गांड पर अपना लंड रखा। और पतली कमर को पकड़कर अपना लंड गांड में डालने की कोशिश की पर अंदर नहीं जा सका। तो दीदी ने कहा कि यहां पर नहीं हो सकेगा, चलो कहीं आराम से करते हैं। हमने अपने कपड़े पहन लिए और झुग्गी के अंदर चले आए।

फिर दीदी के कहने पर हमने अपने कपड़े खोलकर निचोड़ लिए और झुग्गी के अंदर टांग दिए। और दीदी ने वहां टंगी एक चादर को अपने शरीर पर लिपेट लिया, मैंने एक पतला सा तौलिया अपनी कमर पर बांध रखा था। मैंने दीदी को कमर से पकड़कर खाट पर बिठा लिया और चादर उठाकर उसके नितंबों पर हाथ फेरने लगा। इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा होकर तौलिये में से बाहर निकल आया।

दीदी ने उसे अपने हाथ में पकड़ लिया और हाथ को आगे पीछे करके सहलाने लगी, हल्के दबाव से। मैंने जोश में आकर एक हाथ से एक मम्मे को पकड़कर कहा दीदी अब मुझे अपनी चूत को चोदने दो प्लीज। तो दीदी ने एक आह भरकर कहा कि राजू मेरी फुदी पर हाथ रखकर देख कितनी गरम हो गई है। मेरा दिल कर रहा है कि अभी तेरा पूरा लंड अपनी चूत में घुसा लूं चाहे मुझे कितना भी दर्द क्यों न हो पर मजबूर हूं और दीदी की आंख भर आई।

तो मैंने उसे गले लगाकर कारण पूछा तो दीदी कहने लगी कि तेरी भाभी मेरी अच्छी सहेली है। उसने मुझे बताया था कि जब उनकी सुहागरात हुई थी तो जब तुम्हारे भाई ने उनसे कोई प्यार किया न उनको गरम किया। सीधे अपना लंड निकाला और भाभी की फुदी को फाड़ डाला, भाभी की फुदी से खून निकलता रहा, वो दर्द से रोती रही। पर तुम्हारे भाई बहुत खुश हो रहे थे कि इसकी सील नहीं टूटी थी।

उन्होंने चोद चोदकर भाभी की फुदी को लूज कर दिया है, अब जब भी वो फौज से छुट्टी आते हैं तो आमतौर पर भाभी की गांड ही मारते हैं। भाभी को बहुत तकलीफ होती है। आजतक भाभी को कभी भी सेक्स का मजा नहीं मिल सका। क्योंकि भाभी ने शादी से पहले कभी सेक्स नहीं किया था। वो तो चाहती कि तुम ही कभी प्यार से उसको चोदकर पूरा मजा दे देते। पर वो डरती है तुमसे कह नहीं पाती और डरती भी है कि कहीं तुम्हारे भाई को शक न हो जाए।

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इसीलिए उसने मुझे फुदी मरवाने से मना कर दिया है और गांड मरवाने की सलाह दी है, ताकि वो थोड़ी लूज हो जाए और शादी के बाद ज्यादा तकलीफ न हो। उसके मुंह से ये बातें सुनकर मुझे भाभी की हालत पर बहुत दुख हुआ जो इतनी अच्छी और खूबसूरत है और मेरा बहुत खयाल रखती है। मेरा भी दिल भर आया और मैं भी शालू दीदी के गले लग गया और कहा कि आज के बाद मैं भाभी को इतना खुश रखूंगा कि भाभी सब गम भूल जाए।

और रही बात सील टूटने की तो भाभी की शादी कम उम्र में हुई थी पर तुम जैसा कहोगी मैं वैसा ही करूंगा। तो शालू दीदी ने कहा कि आज तुम मेरी गांड मारने की कोशिश करो और मुझे पूरा मजा दो। दीदी ने चादर खोल दी और बिल्कुल नंगी होकर खाट पर पेट के बल लेट गई, उसकी गोरी गोरी जांघें और बड़ी गांड को देखकर मेरा लंड लोहे जैसा हो गया। और मैंने भी अपना तौलिया फेंक दिया और दीदी के ऊपर चढ़कर लेट गया।

दीदी ने अपनी टांगें चौड़ी कर दीं और एक हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़कर अपनी गांड के छेद पर रखकर कहा, कि राजू आराम से धक्का लगाकर अंदर डालना ताकि मुझे दर्द न हो। मैंने बहुत जोर लगाया पर लंड नहीं गया और मेरे लंड को दर्द होने लगा। तो दीदी ने मुझे अपने मुंह के पास बुलाकर लंड को मुंह में लेकर थूक से गीला करके बोली, कि तुम भी मेरी गांड पर अपना थूक लगाकर फिर कोशिश करो लेकिन ये कोशिश भी नाकाम रही, गांड का छेद नहीं खुल रहा था।

मैंने दीदी को घुटनों के बल होकर गांड को उठाने को कहा, दीदी ने जैसे ही गांड उठाकर टांगें फैलाईं, गांड और फुदी दोनों सामने आ गईं। मैंने दीदी से पूछा कि मैं तुम्हारी फुदी को चाटना चाहता हूं, दीदी ने कहा चाट लो, मैं भी घुटनों के बल होकर पीछे से फुदी चाटने लगा। मुझे बहुत मजा आने लगा और दीदी भी बोली हाय बहुत मजा आ रहा है। उसने अब और टांगें चौड़ी कर दीं और फुदी से चिपचिपा पानी निकलने लगा।

मैंने उसे अपने मुंह में ले लिया और फिर फुदी पर हाथ फेरकर अपनी उंगलियां गीली करके एक उंगली दीदी की गांड के छेद में घुसाने लगा। उंगली थोड़ी अंदर जाने लगी तो मैंने सारा रस दीदी की गांड पर थूक दिया और दूसरी उंगली भी घुसाने लगा। मैं दोनों उंगलियां गांड में अंदर बाहर करने लगा तो दीदी ने भी अपने आप को ढीला छोड़ दिया।

फिर मैंने उंगलियां बाहर निकालकर दीदी की फुदी और अपने लंड को थूक से गीला करके, अपना तना हुआ लंड दीदी की गांड के छेद पर रखकर जोर लगाया तो लंड का टोपा अंदर चला गया। दीदी पसीने से भीग गई और कांपने लगी। मैंने अपने बाकी लंड पर और थूक लगाया, लंड थोड़े और घुसा तो दीदी रो पड़ी। मैंने दीदी से पूछा कि बाहर निकाल लूं, उसने मना कर दिया।

मैंने लंड को थोड़ा पीछे खींचा और फिर आगे को जोर लगाया तो मेरा आधे से ज्यादा लंड गांड में चला गया। तब दीदी ने कहा कि इतना ही डालकर आगे पीछे करते रहो। मैं छोटे छोटे धक्के लगाता रहा, इतने में दीदी थोड़ी नॉर्मल हो गई और मुझे लंड बाहर निकालने को कहा तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया। दीदी उठकर खड़ी हो गई और मुझे पीठ के बल लेटने को कहा। जब मैं पीठ के बल लेटा तो मेरा लंड छत की तरफ तना हुआ था।

दीदी ने उसे हाथ में प्यार से पकड़कर देखा और मुझे चूमकर कहा, मेरे प्यारे भाई तूने मेरी खातिर अपना प्यारा लंड जख्मी कर लिया, देख कितना लाल हो गया है। तो मैंने कहा आपको भी तो बहुत दर्द सहना पड़ा। तो दीदी बोली अब तू आराम से लेटा रह, अब बाकी काम मैं खुद करूंगी। अब वो मेरी टांगों के दोनों तरफ पैर रखकर मेरे लंड को अपने थूक से गीला करने लगी। और अपनी गांड पर थूक लगाकर मेरी तरफ मुंह करके मेरे लंड को पकड़कर उस पर अपनी गांड का सुराख रख दिया तो लंड का टोपा गांड में चला गया।

फिर दीदी ने अपने हाथों से अपने दोनों चूतड़ फैलाए और बैठकर दबाव डाला। मेरा आधा लंड अंदर चला गया। वो धीरे धीरे धक्के लगाकर लंड अंदर बाहर करने लगी, आखिर मेरा पूरा लंड जड़ तक दीदी की गांड में चला गया। दीदी अब पूरा लंड अपनी गांड में लेकर थोड़ी देर ऐसे ही बैठी रही और अपनी आंखों से आंसू पोंछने लगी। फिर आंखें बंद करके ऊपर नीचे धक्के लगाने लगी। अब उसने मेरे हाथों में अपने मोटे मोटे मम्में पकड़ा दिए और जोर से दबाने को कहा।

मुझे लगने लगा कि मेरा लंड फट जाएगा। अब दीदी जोर जोर से धक्के लगाने लगी, चपचप की आवाजें आ रही थीं। थोड़ी देर बाद मेरे लंड से तेज पिचकारी दीदी की गांड में छूट गई और लंड ढीला होने लगा। तो दीदी मेरे ऊपर लेट गई और मेरी छाती से मम्में लगाकर मुझे काफी देर तक चूमती रही। थोड़ी देर बाद मेरा लंड बाहर निकल गया और दीदी ने तौलिये से मेरे लंड और अपनी गांड को साफ किया और चादर ओढ़कर मेरे साथ लेट गई और प्यार करने लगी।

बाहर बहुत जोर की बारिश हो रही थी। थोड़ी देर बाद हम उठकर झुग्गी में से बाहर देखने लगे। तो पशु पास में ही घास चर रहे थे और भैंसा भैंस के ऊपर चढ़कर धक्के लगा रहा था। ये देखकर मैंने नंगी खड़ी दीदी को पीछे से उसके मम्मों को पकड़कर अपने साथ चिपका लिया, और मेरा लंड खड़ा होकर उसकी गांड को चुभने लगा। दीदी ने एक हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी और कहने लगी कि तेरा लंड तो एक बार ठंडा हो गया है, पर मैं अपनी फुदी का क्या करूं जो भट्ठी की तरह गरम हो गई है।

तो मैंने कहा कि इसकी आग तो मेरा लंड ही बुझा सकता है, एक बार डालने तो दो। दीदी ने मुझे धक्का देकर पीछे हटा दिया और कहने लगी कि इसे चाटकर भी तो ठंडा कर सकते हो। क्या ऐसा करोगे, तो मैं मान गया क्योंकि मेरा दिल भी तो फुदी चाटने को कर रहा था। मैं खाट पर पीठ के बल लेट गया और दीदी मेरे मुंह पर फुदी रखकर बैठने लगी। तो मैंने कहा कि तुम भी मेरा चाटो।

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दीदी घुटनों के बल बैठकर झुक गई और मेरे लंड को मुंह में लेकर चाटने लगी। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ पकड़ लिए और फुदी को चाटना शुरू कर दिया। हम दोनों को बहुत मजा आने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने अपने हाथों से फुदी को फैलाया और अपनी जीभ घुसाकर चाटने लगा। तो दीदी ने मेरा लंड मुंह से निकालकर हाथ में पकड़ लिया और हाय हाय करने लगी। और कहने लगी हाय राजू और जोर से जीभ घुसाकर चाट, मेरी फुदी को खा जा।

और वो अपनी गांड हिला हिलाकर फुदी को मेरे मुंह पर दबाने लगी। मेरी सांस रुकने लगी। फिर कहने लगी हाय राजू तेरा लंड बहुत प्यारा है। और कमर को हिलाते हुए उसने मेरा लंड फिर मुंह में ले लिया और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगी। अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा और मैं भी अपनी जीभ और अंदर डालकर हिलाने लगा। तभी दीदी ने एक चीख मारी और झट से उठकर थूक से भरे मेरे लंड पर बैठ गई और लंड को हाथ से पकड़कर अपनी फुदी में घुसाने लगी.

तो मैं बोल पड़ा कि दीदी ये क्या कर रही हो, ये गांड नहीं फुदी है और तुम्हारी सील टूट जाएगी। दीदी चीखकर बोली मेरी फुदी आग से जल रही है और तुझे सील की पड़ी है। दीदी ने जोश में आकर जोर लगाया तो लंड थोड़ा अंदर जाकर रुक गया। उसने थोड़ा उठकर एक जोर का झटका मारा तो मेरा आधा लंड झटके से अंदर घुस गया। दीदी के मुंह से चीख निकल गई और फुदी से खून निकल पड़ा लेकिन दीदी रुकी नहीं और जोर जोर से ऊपर नीचे धक्के लगाती रही, आआह्ह.. ऊउफ्फ.. की आवाजें कर रही थी।

फिर मेरा पूरा लंड जड़ तक दीदी की फुदी में चला गया और बच्चेदानी से टकराने लगा। दीदी उछल उछल चुदवाने लगी तो मैंने उसके उछलते हुए मम्मों को पकड़ लिया तो दीदी बोली जोर से दबा इनको। थोड़ी देर स्पीड से चुदवाने के बाद दीदी ने आंखें बंद कर लीं और धीरे धीरे शांत हो गई और एक ठंडी सांस लेकर मेरे ऊपर लेट गई। और मेरे गालों को चूमने लगी और मेरे सिर पर हाथ फेरती हुई मुझे प्यार करने लगी।

पर मेरा लंड अभी भी दीदी की फुदी में ही फंसा हुआ था। जब दीदी मुझ पर से हटी तो मेरा लंड फुदी से बाहर निकल गया जिस पर खून लगा हुआ था। दीदी जिसे देखकर डर गई और फिर अपनी टांगें चौड़ी करके फुदी पर हाथ फेरने लगी तो हाथ खून से लाल हो गया। दीदी बहुत डर गई और कहने लगी कि अब क्या होगा। मैं अपनी सुहागरात को पति को क्या जवाब दूंगी। तो मैंने कहा देखो दीदी हर पति मेरे भाई जैसा पागल नहीं होता।

आजकल खेलने कूदने वाली लड़कियों की सील खुद ही टूट जाती है और अगर पूछे तो तुम भी बता देना कि एक बार मेरे पेट में बहुत दर्द हुआ था। तो डॉक्टरनी ने चेक करते समय हाथ से मेरी फुदी से खून निकाल दिया था। ये सुनकर दीदी खुश होकर हंसने लगी और गीला तौलिया लेकर अपनी फुदी से खून साफ करके मेरे लंड से खून साफ करने लगी।

फिर उसने मेरे लंड के टोपे की चुम्मी ली और बोली राजू तू कितना अच्छा है। तूने मेरे दो काम कर दिए, एक तो मेरी गांड को बिना दर्द किए थोड़ा लूज किया और दूसरा मेरी फुदी को चूत बना दिया। मैं जब भी सेक्स करूंगी तेरी याद जरूर आएगी। तो मैंने कहा देखो दीदी मेरा लंड तुम्हें देखकर कितना तना हुआ है, मैं इसका क्या करूं। तो दीदी बोली तू जो चाहेगा मैं करूंगी, बोल क्या करूं।

मैंने दीदी को खाट पर पीठ के बल लेटाकर उसकी टांगें चौड़ी कर दीं। और उसकी चूत को प्यार से चाटकर गीला करके अपने लंड पर थूक लगाकर चूत पर घिसने लगा। तो दीदी फिर से गरम हो गई और आहें भरने लगी तो मैंने लंड चूत के सुराख पर रखकर जोर से धक्का लगाया तो आधा लंड अंदर चला गया। मैं लंड को अंदर बाहर करने लगा तो दीदी ने मेरी कमर को पकड़कर अपनी ओर खींचा तो मेरा पूरा लंड चूत में घुस गया।

फिर मैं दीदी के मम्मों को पकड़कर धक्के लगाने लगा तो दीदी भी नीचे से गांड उठा उठाकर चुदवाने लगी। और बोली कि राजू मेरी चूत को जी भरके चोद ले पर अगर अपना पानी चूत में मत निकाल देना नहीं तो हम दोनों को आत्महत्या करनी पड़ेगी। मैंने कहा दीदी ऐसा कभी नहीं होगा। ये सुनकर दीदी खुश होकर चुदवाती रही और झड़ गई और उसने शरीर ढीला छोड़ दिया।

मेरा छूट नहीं रहा था तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और दीदी को बोला दीदी अब आप घोड़ी बन जाओ बहुत मजा आएगा। तो दीदी झटसे घुटनों के बल हो गई और मेरे सामने अपनी गांड खड़ी करके घोड़ी बन गई। मैंने दीदी की गांड पर थूक लगाया और अपना लंड उसमें घुसाने लगा तो दीदी दर्द से हाय हाय करने लगी, मैं प्यार से धक्के लगाने लगा, फचफच की आवाजें आने लगीं।

थोड़ी देर बाद दीदी नॉर्मल हो गई और बोली राजू तूने कभी घोड़ी की ली है क्या, तो मैंने कहा कि कई बार ली है बहुत मजा आता है। क्योंकि घोड़ी की चूत पर बाल नहीं होते और वो लंड को ऐसे चूसती है जैसे तुम अपने मुंह में लेकर चूस रही थी। ये सुनकर दीदी हंसने लगी और अपनी गांड हिला हिलाकर चुदवाने लगी। मुझे बहुत मजा आने लगा और मैंने भी जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किए और अपने लंड का पानी दीदी की गांड में निकाल दिया।

थोड़ी देर बाद हमने कपड़े पहन लिए और फिर खाना खाया। बारिश बंद हो चुकी थी और तेज धूप निकल आई थी। हमने खाट आम के पेड़ के नीचे लगाई और बातें करने लगे। तो दीदी बोली अब तूने मुझे दोनों तरफ चोद दिया है, अब तू मुझे मेरी शादी तक कभी भी चोद सकता है, तो मैंने कहा तेरी शादी के बाद मैं क्या करूंगा। तो दीदी ने कहा कि मैं तेरे लिए इससे भी बढ़िया चूत का इंतजाम कर दूंगी। पर तू उसको प्यार से रखना। मैंने उत्सुक होकर पूछा कि वो कौन है तो दीदी ने कहा कि तेरी भाभी है।

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