मेरा नाम गौतम है। मैं 43 साल का हूँ। मेरे घर में मेरी बीवी, मैं, और मेरी 19 साल की बेटी दीप्ती रहती है। दीप्ती का फिगर कमाल का है—उसके मम्मे 34 इंच के, और गांड 36 इंच की। वो एकदम परफेक्ट हॉट और सेक्सी टाइप की लड़की है। उसका गोरा रंग, गुलाबी होंठ, गहरी नाभि, और मुलायम जांघें किसी को भी पागल कर सकती हैं।
मैं जब भी उसे देखता, मेरा दिल धक-धक करता। सच कहूं, वो इतनी हॉट थी कि मैं कई बार उसे नहाते हुए चोरी-छिपे देखता था। ये कहानी उस दिन की है, जब सब कुछ बदल गया। उस दिन रविवार था, 3 मई। सुबह के 10 बज रहे थे। मेरी बीवी बाजार गई थी, और उसे लौटने में कम से कम दो घंटे लगने वाले थे।
दीप्ती नहाने के लिए बाथरूम में गई। हर बार की तरह, मैं उसकी झलक पाने के लिए बाथरूम की तरफ गया। पहले मैं हमेशा बाथरूम की दीवार में एक छोटे से छेद से उसे देखता था, लेकिन उस दिन कुछ और ही हुआ। दीप्ती ने जल्दबाजी में बाथरूम का दरवाजा लॉक करना भूल गया था। दरवाजा थोड़ा सा खुला था, और मैं बाहर से सब कुछ साफ-साफ देख पा रहा था।
दीप्ती उस वक्त सिर्फ लाल ब्रा और लाल पैंटी में थी। उसका गोरा बदन, गीले बाल, और वो लाल अंडरगारमेंट्स में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। मैं दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे देखता रहा। उसका हर कर्व, उसकी चिकनी कमर, और वो भरे हुए मम्मे मेरे होश उड़ा रहे थे। मेरा लंड पैंट में तन गया, और मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल था—इतनी हॉट लड़की को कौन चोदना नहीं चाहेगा? भले वो मेरी बेटी थी, लेकिन उसकी जवानी ने मुझे बेकाबू कर दिया।
दीप्ती ने धीरे-धीरे अपनी ब्रा उतारी। उसके गोल, टाइट मम्मे बाहर आ गए, जिनके गुलाबी निप्पल्स देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। फिर उसने अपनी पैंटी भी उतार दी। अब वो पूरी नंगी थी, और उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, जो गीले होकर चमक रहे थे। उसने साबुन लिया और अपने मुलायम बदन पर रगड़ना शुरू किया।
जैसे-जैसे उसका हाथ उसके मम्मों, कमर, और जांघों पर घूम रहा था, मेरा लंड पैंट में फटने को तैयार था। वो अपनी चूत को ज्यादा देर तक साफ करने लगी, और शायद यही वजह थी कि वो गर्म होने लगी। अचानक, दीप्ती ने अपनी चूत में एक उंगली डाल दी।
उसकी सिसकारियां शुरू हो गईं—हल्की-हल्की “आह्ह… उफ्फ…” की आवाजें। वो अपनी चूत को सहलाने लगी, और उसकी आँखें बंद थीं। उसकी उंगलियां तेजी से अंदर-बाहर हो रही थीं, और उसका चेहरा लाल हो गया था। मैं ये सब देखकर पागल हो रहा था। मेरा लंड इतना सख्त था कि दर्द करने लगा। मुझे लगा, ये मौका है। अगर अब नहीं, तो कभी नहीं।
मैंने हिम्मत जुटाई और धीरे से बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर घुस गया। दीप्ती की आँखें अभी भी बंद थीं, और वो अपनी चूत में उंगली किए जा रही थी। अचानक मेरे कदमों की आवाज सुनकर उसकी आँखें खुलीं। मुझे सामने देखकर वो चौंक गई। उसकी उंगली उसकी चूत में ही अटक गई, और वो हक्की-बक्की रह गई। उसका चेहरा डर और शर्म से लाल हो गया।
मैंने उससे पूछा, “ये क्या कर रही है तू?”
दीप्ती डरते हुए बोली, “क… कुछ नहीं, पापा!”
मैंने थोड़ा सख्त लहजे में कहा, “झूठ मत बोल!”
उसके चेहरे पर ऐसा लगा जैसे वो रोने वाली है। मैंने उसे शांत करने के लिए पास जाकर उसे नंगे बदन से गले लगा लिया और कहा, “कोई बात नहीं, बेटा। इस उम्र में सब ऐसा करते हैं। इसमें शर्माने की क्या बात है?” मैं उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा। उसका गीला, मुलायम बदन मेरे हाथों में ऐसा लग रहा था जैसे रेशम। धीरे-धीरे मेरा हाथ उसकी कमर से नीचे सरक गया, और मैं उसकी भरी हुई गांड को सहलाने लगा।
दीप्ती ने हल्का सा विरोध किया, “पापा, ये क्या कर रहे हो? प्लीज, मुझे छोड़ दो!”
लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उसकी गांड में एक उंगली डाल दी, और दूसरे हाथ से उसके बड़े-बड़े मम्मे दबाने लगा। दीप्ती पहले से ही गर्म थी, और मेरे स्पर्श से उसका बदन और तपने लगा। उसकी सांसें तेज हो गईं, और उसने विरोध करना बंद कर दिया। वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी, और उसकी आँखों में अब डर की जगह कुछ और था—शायद वासना। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए और चूसने लगा। पहले तो वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर उसने भी मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया। उसका मुलायम जीभ मेरे मुँह में घूम रहा था, और मैं उसके होंठों को काट-काट कर चूस रहा था। मैंने उसके मम्मे जोर-जोर से दबाए, और उसकी सिसकारियां तेज हो गईं— “आह्ह… पापा… उफ्फ…”।
मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा और उसे सहलाने लगा। उसकी चूत पहले से ही गीली थी, और मेरे उंगलियों के स्पर्श से वो और गर्म हो गई। मेरा लंड अब बर्दाश्त के बाहर था। मैंने अपनी पैंट उतारी, और मेरा 7 इंच का सख्त लंड बाहर आ गया। दीप्ती ने उसे देखा, और उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखा। पहले तो वो डरी, लेकिन फिर उसने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया। उसका मुलायम हाथ मेरे लंड पर ऐसा लग रहा था जैसे स्वर्ग का सुख। मैंने उसके बाल पकड़े और उसका मुँह नीचे करके अपना लंड उसके होंठों पर रख दिया।
“मुँह में ले, बेटा,” मैंने कहा।
दीप्ती ने मेरी तरफ देखा, फिर हिचकिचाते हुए मेरे लंड को अपने मुँह में लिया। उसका गर्म, गीला मुँह मेरे लंड को चूस रहा था, और मैं सिसकारियां लेने लगा— “आह्ह… दीप्ती… ऐसे ही… चूस मेरे लंड को!” पहले तो उसे अजीब लगा, और उसने लंड बाहर निकाला, लेकिन मैंने फिर से उसके बाल पकड़कर लंड उसके मुँह में डाल दिया।
इस बार वो धीरे-धीरे चूसने लगी। उसके गुलाबी होंठ मेरे लंड पर ऊपर-नीचे हो रहे थे, और मैं सातवें आसमान पर था। कुछ ही मिनटों में मैंने अपना सारा माल उसके मुँह में छोड़ दिया। दीप्ती ने उसे चाट लिया और मेरे लंड को साफ कर दिया। लेकिन दीप्ती अभी भी गर्म थी।
उसकी चूत से पानी टपक रहा था, और उसकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी। मैंने उसे गोद में उठाया, उसका नंगा, गीला बदन मेरी बाहों में था। मैं उसे बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने उसकी टांगें फैलाईं और उसकी कुंवारी चूत को चाटना शुरू किया।
मेरी जीभ उसकी चूत के दाने को चूस रही थी, और दीप्ती सिसकारियां ले रही थी— “आह्ह… पापा… ये क्या कर रहे हो… उफ्फ… मैं पागल हो जाऊंगी!” मैंने उसकी चूत को 10 मिनट तक चाटा, और वो दो बार झड़ गई। उसका पानी मेरे मुँह में था, और मैंने उसे चाट-चाट कर साफ कर दिया।
अब मैंने एक तकिया उसकी कमर के नीचे रखा और उसकी टांगें हवा में उठाईं। मेरे लंड पर पहले से ही उसकी चूत का पानी लगा था, लेकिन उसकी टाइट चूत में लंड आसानी से नहीं जा रहा था। दीप्ती बोली, “पापा, दर्द हो रहा है!” मैंने पास में रखा नारियल का तेल लिया और अपने लंड पर अच्छे से मल लिया।
दीप्ती ने भी मेरे लंड को तेल से चिकना किया, और उसका स्पर्श मेरे लंड को और सख्त कर गया। मैंने उसकी टांगें फिर से उठाईं और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर सेट किया। एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। दीप्ती चीख पड़ी, “पापा… निकालो… बहुत दर्द हो रहा है!”
मैं रुका, और उसकी चूत को सहलाने लगा। जब उसका दर्द कम हुआ, मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसमें फंस सा गया था। मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, और इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक घुस गया। दीप्ती की चीख निकली, और उसकी चूत से खून बहने लगा। उसकी कुंवारी चूत की सील टूट चुकी थी।
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। पहले तो दीप्ती दर्द से कराह रही थी, लेकिन धीरे-धीरे उसका दर्द मजे में बदल गया। वो अपनी गांड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। उसकी सिसकारियां तेज हो गईं— “आह्ह… पापा… और जोर से… चोदो अपनी बेटी को!” मैंने उसके एक मम्मे को जोर से दबाया और दूसरे के निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा।
उसकी चूत की गर्मी और टाइटनेस मुझे पागल कर रही थी। हर धक्के के साथ मेरे टट्टे उसकी चूत के होंठों से टकराते, और “पुच्छ… पुच्छ… पचक…” की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। मैंने दीप्ती को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। उसकी भरी हुई गांड मेरे सामने थी, और मैं उसे थप्पड़ मारते हुए चोदने लगा।
दीप्ती सिसकारियां ले रही थी— “आह्ह… पापा… मेरी चूत फाड़ दो… और जोर से चोदो!” मैंने उसके बाल पकड़े और पूरी ताकत से धक्के मारने लगा। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ वो और गीली हो रही थी। मैंने उसकी गांड में एक उंगली डाल दी, और वो चीख पड़ी— “पापा… ये क्या… उफ्फ… और करो!”
मैंने उसकी गांड में उंगली अंदर-बाहर की और साथ में उसकी चूत को चोदता रहा। 15 मिनट की चुदाई के बाद दीप्ती बोली, “पापा, अब मैं ऊपर आती हूँ।” मैं बिस्तर पर लेट गया, और दीप्ती मेरे ऊपर चढ़ गई। उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर सेट किया। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
एक जोरदार झटके के साथ वो मेरे लंड पर बैठ गई, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो ऊपर-नीचे होने लगी, और उसके मम्मे मेरे सामने उछल रहे थे। मैंने दोनों मम्मों को पकड़कर जोर-जोर से दबाया, और दीप्ती सिसकारियां ले रही थी— “आह्ह… पापा… मेरी चूत में अपना लंड और गहरा डालो… मुझे माँ बना दो!” उसकी बातें मुझे और जोश दिला रही थीं।
फिर मैंने अपनी बेटी को एक टांग पर खड़ा किया और उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा। मैं उसके मम्मे चूस रहा था, और वो चीख रही थी— “पापा… मेरे मम्मे और जोर से चूसो… मेरी चूत फाड़ दो!” उसकी चूत से पानी टपक रहा था, और वो बार-बार झड़ रही थी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, और 20 मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। दीप्ती ने मुझे जोर से गले लगाया और मेरे होंठों को चूमते हुए कहा, “पापा, आज आपने मुझे सुहागरात जैसा मजा दिया। I love you, my sweet papa!”
लेकिन दीप्ती की आग अभी बुझी नहीं थी। उसने मेरा लंड फिर से मुँह में लिया और 10 मिनट तक चूसा। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने कहा, “पापा, मेरी जान को मेरी चूत में डालो।” मैंने उसकी एक टांग अपने कंधे पर रखी और धीरे-धीरे लंड उसकी चूत में डाला। मैं उसके होंठों को चूस रहा था, और वो मेरे लंड को अपनी चूत में महसूस कर रही थी।
हम ऐसे ही चिपके रहे, और फिर मैंने उसे धीरे-धीरे चोदा। उस दिन मैंने दीप्ती को चार बार चोदा—हर बार नई पोजीशन में, नया मजा लेकर। हम दोनों बिस्तर पर नंगे पड़े थे, एक-दूसरे को चूम रहे थे। दीप्ती ने कहा, “पापा, आपने मेरी जवानी को आज जगा दिया। अब जब भी मम्मी न हों, हम ये सब करेंगे।” मैंने उसकी गांड पर एक चपत मारी और कहा, “बेटा, तू मेरी रानी है। तेरी चूत का स्वाद मैं हर बार लूंगा।”
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