मेरा नाम अर्जुन है और मैं अब 20 साल का हूँ। ये मेरी जिंदगी की वो कहानी है जो मेरे और मेरी माँ आशा के बीच की है। मेरी माँ 39 साल की हैं, उनकी कमर 40 इंच की है और ब्रा का साइज 34। वो इतनी खूबसूरत हैं कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। उनकी गोरी चमकती त्वचा, भरे हुए नितंब, और वो गजब की काया—सब कुछ ऐसा कि दिल में आग सी लग जाए। Kamuk Son Sex Desires
मैं उनसे बहुत प्यार करता हूँ, लेकिन कुछ घटनाओं ने मेरे मन का नजरिया बदल दिया। मेरे घर में माँ, पापा, और मेरी दो बहनें—रीना और पूजा—रहती हैं। ये कहानी तब की है जब मैं 18 साल का था, और माँ 37 की थीं। आइए, कहानी शुरू करते हैं। बात अगस्त की है। मैं 10वीं क्लास में था।
उस दिन शनिवार था, और मैं स्कूल से जल्दी घर आ गया, करीब 12:30 बजे। घर में माँ किचन में खाना बना रही थीं, बड़ी बहन रीना नहा रही थी, और पापा ऑफिस गए थे। माँ ने पीली साड़ी पहनी थी, जो उनकी गोरी त्वचा पर गजब ढा रही थी। उनका पेटीकोट थोड़ा टाइट था, जिससे उनकी काया की हर लकीर साफ दिख रही थी।
माँ ने सारे काम खत्म किए, मुझे खाना दिया, और फिर हॉल में टीवी देखने लगीं। टीवी देखते-देखते वो सोफे पर लेट गईं। थोड़ी देर में उनकी आँखें बंद हो गईं, और वो गहरी नींद में चली गईं। करीब 2 बजे मैं किचन से पानी पीकर हॉल में आया। नजर पड़ी तो माँ का पेटीकोट घुटनों तक ऊपर सरक गया था।
उनकी गोरी, चिकनी टाँगें देखकर मेरे दिल में कुछ हुआ। मैं छोटा था, लेकिन उस पल मेरे मन में नशा सा छा गया। मैं धीरे-धीरे उनके पास गया। उनकी टाँगें इतनी मुलायम और चमकदार थीं कि मैं खुद को रोक न सका। मैंने हिम्मत करके उनकी साड़ी को और ऊपर सरकाया।
अब उनकी जाँघें नजर आ रही थीं—गोरी, मुलायम, और इतनी सेक्सी कि मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मेरा लंड पहली बार टाइट हो गया। मैंने कुछ नहीं किया, बस देखता रहा। अगले कुछ दिनों तक यही सिलसिला चला। जब भी माँ सोतीं, मैं चुपके से उनकी टाँगें और जाँघें देखता, और मन ही मन पागल होता रहता।
कुछ महीने बीत गए। पापा को किसी काम से बाहर जाना पड़ा। घर में मैं, माँ, और दोनों बहनें थीं। रीना और पूजा एक ही कमरे में सोती थीं। उस रात, मार्च की बात है, लाइट चली गई थी। करीब 9:30 बजे हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे। दोनों बहनें अपने कमरे में चली गईं, और माँ हॉल में लेट गईं।
मैं भी हॉल में ही सोने वाला था। रात के 10 बजे होंगे, माँ उठीं और अपने कमरे में गईं। पाँच मिनट बाद वो वापस आईं, लेकिन अब उन्होंने साड़ी उतार दी थी। शायद उन्हें गर्मी लग रही थी। वो सिर्फ लाल ब्लाउज और सफेद पेटीकोट में थीं। उनका ब्लाउज उनकी चूचियों को कसकर पकड़े हुए था, और पेटीकोट उनकी गोरी जाँघों को हल्का-हल्का ढक रहा था।
वो लेट गईं, और आधे घंटे बाद गहरी नींद में थीं। मैं धीरे से उनके पास गया और लेट गया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने हिम्मत करके उनकी तरफ खिसकना शुरू किया। माँ आधी करवट लेकर सो रही थीं। मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी कमर पर रखा। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
उनकी कमर इतनी मुलायम थी, जैसे शीशे पर फिसल रहा हो। मेरा लंड पैंट में तन गया। मैंने कुछ देर तक अपना हाथ वैसे ही रखा, और मजा लेता रहा। फिर मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उनके नितंबों पर ले गया। उनके नितंब भरे हुए और गोल थे, इतने मुलायम कि मेरे होश उड़ गए। माँ अभी भी गहरी नींद में थीं।
मैंने और हिम्मत की और अपना हाथ उनकी जाँघों पर ले गया। उनकी जाँघें इतनी गर्म और मुलायम थीं कि मैं पागल सा हो गया। मैंने धीरे-धीरे उनके पेटीकोट में हाथ डाला। डर भी लग रहा था कि अगर माँ की नींद खुल गई तो क्या होगा, लेकिन मेरे सिर पर जैसे भूत सवार था।
मैंने उनके पेटीकोट को और ऊपर सरकाया, और उनकी जाँघों को सहलाने लगा। “आह्ह,” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली। उनकी जाँघें इतनी मुलायम थीं कि मुझे उन्हें चूमने की इच्छा हुई। मैंने घर में चेक किया कि कहीं कोई जाग तो नहीं रहा। सब सो रहे थे।
मैंने लाइट बंद की और टॉर्च लेकर माँ के पैरों के पास बैठ गया। धीरे-धीरे मैंने उनका पेटीकोट और ऊपर उठाया। अब उनकी हिप्स की लाइन साफ दिख रही थी। मैंने हिम्मत करके पेटीकोट को उनकी हिप्स तक उठा दिया। उनकी गोल, भरी हुई हिप्स देखकर मेरा लंड पैंट में फटने को हो गया।
मैंने धीरे से उनकी हिप्स पर किस किया। “उम्म,” मेरे मुँह से हल्की सी आवाज निकली। फिर मैं उनके बगल में लेट गया और मुठ मारने लगा। जैसे ही मैं फेल होने वाला था, मैंने माँ को पकड़ लिया। अचानक माँ जाग गईं और मुझे धक्का देकर दूर कर दिया। उन्हें लगा मैं नींद में था।
मैं चुपचाप सो गया। इसके बाद भी मैं चुपके-चुपके माँ को देखता रहा। कुछ महीनों बाद, सितंबर में घर पर सिर्फ मैं, माँ, और पापा थे। सुबह नाश्ते के बाद पापा ऑफिस चले गए। माँ ने हल्की हरी साड़ी पहनी थी, जिसमें वो इतनी सेक्सी लग रही थीं कि मैं बार-बार उन्हें देख रहा था।
मैं बाथरूम गया तो देखा कि माँ की दो ब्रा और पेटीकोट वहाँ रखे थे। मुझे हैरानी हुई कि माँ ने पैंटी नहीं रखी थी। क्या वो पैंटी नहीं पहनतीं? ये सवाल मेरे दिमाग में घूमने लगा। मैं बहुत दिनों से माँ को नहाते हुए देखना चाहता था। आज घर पर कोई नहीं था।
मैंने बाथरूम के दरवाजे के कोने में एक छोटा सा छेद कर दिया। फिर बाहर आ गया। आधे घंटे बाद माँ ने खाने के लिए पूछा। मैंने कहा, “अभी नहीं, आप नहा लो, बाद में खा लूँगा।” माँ बोलीं, “ठीक है, आज बहुत कपड़े धोने हैं, मुझे देर हो सकती है।” वो बेडरूम में कपड़े लेने गईं। “Kamuk Son Sex Desires”
मैं किचन में पानी पीने गया। तभी माँ बेडरूम से बाथरूम की ओर गईं। मैं चुपके से बाथरूम के पास गया और छेद से देखने लगा। माँ ने नल चालू किया और कपड़े उतारने लगीं। पहले साड़ी उतारी, फिर ब्लाउज। अब वो सिर्फ सफेद ब्रा और पेटीकोट में थीं।
उनकी ब्रा उनकी चूचियों को कसकर पकड़े हुए थी। फिर उन्होंने ब्रा उतारी और पेटीकोट को अपनी चूचियों के ऊपर बाँध लिया। वो कपड़े धोने लगीं। मैं लगातार उन्हें देखता रहा। उनकी गोरी कमर, भरे हुए नितंब, और वो मुलायम त्वचा—मैं पागल हो गया। मैंने दो बार मुठ मारी।
माँ को नहाने में आधा घंटा लगा, लेकिन मैं उन्हें पूरी तरह नंगा नहीं देख पाया। फिर भी, जब भी घर खाली होता, मैं उन्हें नहाते हुए देखने की कोशिश करता। दो साल बीत गए। मैं माँ को नहाते हुए देखता और मुठ मारता। मुझे कोई और औरत अच्छी नहीं लगती थी।
एक दिन, 2 फरवरी को, पापा कुछ दिनों के लिए बाहर गए थे, और दोनों बहनें गाँव गई थीं। घर में सिर्फ मैं और माँ थे। दिन भर माँ ने टीवी देखा, और शाम को खाना बनाने लगीं। मैं बहुत दिनों से माँ की चूत देखना चाहता था। मैं मेडिकल स्टोर गया और स्लीपिंग पिल्स माँगी।
केमिस्ट ने पहले मना किया, लेकिन मेरे बहुत रिक्वेस्ट करने पर तीन गोलियाँ दीं। घर आकर मैं टीवी देखने लगा। रात 8 बजे हमने खाना खाया। फिर माँ ने गुलाबी साड़ी पहनी थी, जिसमें वो गजब की लग रही थीं। मैंने पूछा, “माँ, कोल्ड ड्रिंक लोगी?” वो बोलीं, “हाँ, ठीक है, लेकिन थोड़ा ही देना।”
मैं किचन गया और कोल्ड ड्रिंक में दो स्लीपिंग पिल्स मिला दीं। माँ ने पीते वक्त कहा, “ये कड़वा लग रहा है।” मैंने कुछ नहीं कहा। माँ लेटकर टीवी देखने लगीं। मैं सोफे पर बैठा था। 20 मिनट बाद माँ की आँखें बंद हो गईं। टीवी चल रहा था। मैं मन ही मन खुश हुआ। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है.
मैंने थोड़ा इंतजार किया और माँ के पास गया। मैंने उन्हें हिलाकर जगाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं उठीं। मेरी धड़कनें तेज हो गईं। मैंने सोचा, क्या ये सही है? लेकिन फिर मन में आया कि मैं तो बस देखना चाहता हूँ। मैं उनके पैरों के पास बैठ गया। उनकी टाँगें फैली हुई थीं।
मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी ऊपर उठाई। मेरी दिल की धड़कन और तेज हो गई। घुटनों तक साड़ी उठाने के बाद मैंने पेटीकोट ऊपर किया। अचानक मेरी नजर उनकी चूत पर पड़ी। “आह्ह्ह,” मेरे मुँह से सिसकारी निकली। माँ ने अंडरवेयर नहीं पहनी थी। उनकी चूत के छोटे-छोटे बाल साफ दिख रहे थे। मैं पागल हो गया।
मैंने माँ को हिलाकर चेक किया, लेकिन वो बिल्कुल बेसुध थीं। मैंने धीरे से उनका पल्लू हटाया। उनके बड़े-बड़े दूध ब्लाउज में कसकर बंद थे। उनकी गोरी कमर और पेट साफ दिख रहा था। मैंने साड़ी को और ऊपर किया, अब उनकी हिप्स पूरी तरह नजर आ रही थीं। मैं बेकाबू हो गया।
मैंने माँ की कमर पकड़ी और उनके बगल में लेट गया। मैंने उनके ब्लाउज का किनारा हटाया। उनकी काली ब्रा की स्ट्रिप दिखी। उनकी गोरी बॉडी पर काली ब्रा गजब ढा रही थी। मैंने उनकी पीठ पर किस किया। “उम्म,” मेरे मुँह से आवाज निकली। फिर मैंने उनकी साड़ी को पूरी तरह उनकी हिप्स तक उठा दिया। उनकी भारी हिप्स देखकर मैंने सोचा, पापा कितने लकी हैं।
मैंने उनकी हिप्स पर किस किया, फिर कमर पर, गर्दन पर, और पेट पर। मैंने फोटो भी खींची। उस रात मैं दो घंटे तक माँ के पास रहा, उन्हें देखता रहा, और चार बार मुठ मारी। फिर मैंने माँ को सही पोजीशन में किया और सो गया। मैंने उनके साथ कुछ गलत नहीं किया।
हमारे रिश्ते नॉर्मल हैं। मैं आज भी कभी-कभी उन्हें सोते हुए देखता हूँ। मुझे लगता है, ये गलत नहीं है, क्योंकि मैंने कुछ गलत किया ही नहीं। हर किसी के मन में अपनी माँ की बॉडी देखकर कुछ न कुछ ख्याल तो आते ही हैं। कोई ज्यादा सोचता है, कोई कम।
दोस्तों आपको ये Kamuk Son Sex Desires की कहानी मस्त लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और Whatsapp पर शेयर करे…………..
💖 Support Our Work
Aapki chhoti si madad hume aur accha content banane me help karti hai 🙏
Q215987522@ybl
Scan QR ya Copy karke UPI App se donate kare 💸
