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चुदाई के रंग में रंगी मेरी चुदक्कड़ मां-1

कैसे हो दोस्तों आप सब? आशा करता हूं कि आप सभी ठीक होंगे।

तो लेकर चलता हूं आपको एक ऐसे सफर पर जो चुदाई से भरा पड़ा है। इस सफर का सबसे महत्वपूर्ण किरदार और कोई नहीं बल्कि मेरी मां ही है। आशा करता हूं कि मेरी मां की चुदाई के किस्से सुन कर आप लोगों का भी मन करेगा मेरी मां को चोदने का।

यह सफर हवस से तो भरा ही पड़ा है, लेकिन साथ ही साथ इस सफर का एक मकसद खुद को तथा समाज को बेबुनियाद सामाजिक रीति रिवाजों से आजाद करना भी है, जो मर्द को औरत के जिस्म से मिलने वाले आनंद से और औरत को मर्द से चुदने का आनंद लेने से रोकते है। तो इसी बात के साथ शुरू करते है ये सफर।

मेरा नाम समर है, मेरी उम्र 22 साल है और मैं चंडीगढ़ में रहता हूं। बाप सरकारी नौकरी करता है, लेकिन है पूरी तरह नामर्द और चूतिया। मेरे बाप से मैं बेहद नफरत करता हूं,‌ क्योंकि फालतू के ड्रामे के अलावा उसे कुछ नहीं आता। मेरे चूतिए बाप को हमसे लड़ाई करने के अलावा कुछ नहीं आता।

वहीं 43 की उम्र, 32″ की चूचियां, 30″ की कमर और 34″ के चूतड़ों वाले बदन के साथ, हल्के गोरे रंग की चमड़ी वाली मेरी मां कोमल मर्द के लंड में कड़कपन ले ही आती है। हालांकि ज्यादा भरे बदन की नहीं, पर एक हवस से भरा मर्द कोमल की ठुकाई से जितना आनंद लेना चाहता है, उतने मजे ले सकता है।

कोमल को जब मैं कपड़े धोते हुए देखता था, तो भीगे हुए कपड़ों में उसके चूचे और उसके चूतड़ देख कर मेरा लंड कड़क हो जाता। मुझे लगता कि कोमल का बदन मुझे चीख-चीख कर बुला रहा है उसकी चुदाई करने के लिए। मन करता था कि अभी के अभी कोमल की गांड में अपना मुंह घुसा दूं, और उसके होठों पर मैं अपना लंड रगड़ कर उसके मुंह में लंड घुसा कर उसे लंड का स्वाद चखा दूं। फिर उसकी चूत चाट कर उसमें अपना लंड घुसा दूं।

ऐसा सोच कर मुझे बहुत मजा आता है। लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई कि जाकर कोमल से ये कह दूं कि मैं उसके बदन को चूस लेना चाहता हूं। उससे भी ज्यादा मजा मुझे ये सोच कर आता है कि कोई ठरकी आदमी मेरे सामने कोमल की चुदाई करे और मैं कोमल को चुदाई का आनंद लेते हुए देखूं।

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कोमल की जब से मेरे बाप से शादी हुई है तब से मेरा बाप कोमल को सिर्फ तंग करता आया है। जिसकी वजह से कोमल ने अपनी जवानी में चुदाई का आनंद नहीं लिया। जिस औरत ने जवानी में चुदाई का आनंद ना लिया हो, तो उसका जीवन बेकार है। वहीं जिस मर्द ने अपनी जवानी में औरत के जिस्म के मजे ना चखे हो, उसका जीवन पूर्ण रूप से बेकार है।

मेरे घटिया बाप और इस समाज के डर से मेरी मां बेहद तंग थी। जिसकी वजह से वह इस जिंदगी को खुल कर नहीं जी पा रही थी। मैं समाज के नियमों को पूरी तरह बकवास मानता हूं, और चाहता था कि कोमल खुल कर अपने जीवन का लुत्फ उठाए। कोमल यह बात बखूबी जानती थी कि समाज के बंधनों और मेरे चूतिए बाप की वजह से वह जीवन के हसीन पलों का लुत्फ उठाने में नाकामयाब रही।

कोमल वैसे तो काफी संस्कारी औरत थी लेकिन उसे लंड का नशा ऐसा लगा जिसके बाद उसके संस्कार हमेशा-हमेशा के लिए मर गए और वो एक चुदक्कड़ औरत बन गई। ऐसा तब हुआ जब कोमल ने खुद को बंधनों से मुक्त कर लिया।

हमारे पड़ोस में कुछ महीनों पहले एक परिवार रहने आया जिसमें 48 साल का एक सांवला मर्द है। जिसका नाम विनोद है, और करीब पांच फुट सात इंच लंबा उसका कद है। ना ही विनोद ज्यादा पतला है और ना ही विनोद का पेट बाहर लटकता है। विनोद देखने में ठीक-ठाक है। विनोद हल्की-हल्की मूंछें रखता और दाढ़ी बिल्कुल साफ।

विनोद के परिवार में उसकी बीवी और उसका एक बेटा है। उसकी बीवी का नाम सरोज है जो देखने में थोड़ी काली है और बदन एक दम कड़क, जिसे देखते ही आदमी का लंड मचल उठेगा। सरोज का कद कोमल से छोटा है। जब सरोज को मैंने पहली बार देखा था, तो उसने हरे रंग का कमीज डाला हुआ था। ऐसा लग रहा था कि उसके चूचों को कमीज ने जबरदस्ती जकड़ा हुआ हो, जो कमीज से निकलने के लिए बेताब थे, और कमीज ने उसकी कमर को भी जकड़ा हुआ था।

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उसने हरे रंग की ही पायजामी पहन रखी थी और उसकी गांड की झलक साफ दिखाई पड़ रही थी। उसकी छाती 34″ की है, कमर 30″ की और 36″ की मस्त गांड है जिसे देख कर मेरा लंड खुशी से झूम उठा था। सरोज की उम्र 44 साल है और उसका एक बेटा है जिसका नाम गौरव है। गौरव की उम्र लगभग 23 साल की है और वो भी विनोद की तरह सावले रंग का है। गौरव का कद भी करीब पांच फुट आठ इंच ही है और गौरव थोड़ा पतला सा है। पूरी रात मैं सरोज के कड़क हुस्न की कल्पनाओं में डूबा रहा।

विनोद का परिवार जैसे ही हमारे पड़ोस में आया, उससे अगले ही दिन सरोज गौरव के साथ हमारी घर जान-पहचान करने आई और साथ में एक मिठाई का डिब्बा भी लेकर आई जो नए रिश्ते को मिठास से शुरू करने का संकेत था। जैसे ही सरोज ने घंटी बजाई, मैं तुरंत दरवाजा खोल कर आया और सरोज से कहा, “नमस्ते आंटी।” सरोज ने बड़े प्यार से मुझसे कहा, “कैसे हो बेटा?”

मैंने कहा: मैं ठीक हूं आंटी आप बताइए।

सरोज: मैं भी ठीक हूं। ये गौरव है और हम कल ही यहां पर रहने आए है सोचा कि पड़ोसियों से मुलाकात कर ली जाए।

मैंने कहा: बहुत अच्छा किया, अंदर आइए ना।

गौरव और मैंने हाथ मिलाया, गौरव और सरोज फिर घर के अंदर आते है।

सरोज: बेटा तुम्हारा नाम?

मैंने कहा: समर।

सरोज: काफी सुंदर नाम है, अच्छा तुम्हारी मम्मी?

मैंने कहा: मम्मी नहा रही है, बस अभी आती ही होंगी आप तब तक बैठिए।

मैंने सरोज और गौरव को पानी दिया और हम बैठ गए।

सरोज: गौरव तुम भी कुछ बोलो, एक-दूसरे से जान-पहचान करो।

गौरव: समर क्या करते हो तुम?

मैं: बस कुछ नहीं मेरी अभी ग्रेजुएशन हुई है देख रहा हूं कोई जॉब वगैरह। वैसे तुम?

गौरव: बस मैं भी तुम्हारी तरह जॉब की ही कोशिश कर रहा हूं।

सरोज: अभी तुम लोगों को उम्र ही क्या है, ज्यादा बोझ मत लो अपने सिर पर।

समर: हां आंटी ये तो है।

गौरव इधर-उधर झाक रहा था और मेरा ध्यान सरोज के खूबसूरत बदन पर था। सरोज ने अपने होठों पर लाइट पिंक रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी, और मेरा मन कर रहा था कि अभी के अभी सरोज के होठों का रस चूस लूं।

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इतने में कोमल नहा कर बाहर आती है। गीले बालों को उसने तोलिए से ढक रखा था, नीले रंग का सूट डाल कर कोमल काफी अच्छी लग रही थी।

सरोज: हेलो जो, कैसे हो आप?

कोमल: मैं ठीक हूं आप बताइए।

गौरव: नमस्ते आंटी।

कोमल: नमस्ते बेटा।

सरोज ने मिठाई का डिब्बा कोमल के हाथ में दिया और कहा कि हम आपके नए पड़ोसी है।

कोमल: इसकी क्या जरूरत थी? आप आए वो ही बहुत है। मेरा नाम कोमल है। और ये मेरा बेटा समर।

सरोज: मैं सरोज और ये मेरा बेटा गौरव।

कोमल: समर तुम गौरव को लेकर अपने कमरे में जाओ और हां मैं चाय बना रही हूं आकर ले जाना।

मैं: ठीक है मम्मी।

सरोज: बेटा समर गौरव अभी यहां नया है। तो तुम्हे ही इसे यहां घुमाना है, तो दोस्ती कर लो एक-दूसरे से।

मैं: ये भी कोई कहने की बात है आंटी।

कोमल: चिंता मत करो आप सरोज जी, ये दोनों अच्छे दोस्त बन जाएंगे। आइए बैठिए हम बातें करते है।

मैं गौरव को लेकर अपने कमरे में जाता हूं और कोमल रसोई में जाकर चाय बनाने लग जाती है। सरोज सोफे पर बैठ जाती है।

इस सफर का पहला चैप्टर यही तक। मेरे साथ बने रहिए क्योंकि यह सफर काफी रोमांचक होने वाला है, जो आपके तन बदन में एक आग लगा देगा।

दोस्तों मेरी कहानी यहां तक कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताइए
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